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Indian Vastushastra

By Dr. Pravesh Vyas   |   Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University, New Delhi-16
Learners enrolled: 2288
भारतीय वास्तुशास्त्र

प्राचीन भारतीय विद्याओं में अनेक ऐसी विद्याऐं है जिनका आज के तकनीकी व आर्थिक युग में महत्त्व अत्यधिक बढ गया है। जैसे योगशास्त्र, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, भाषा विज्ञान  इत्यादि। उसमें वास्तुशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। आज किसी भी प्रकार के निर्माण में वास्तुशास्त्र के नियमों को भी ध्यान में रखा जाता है, इसका कारण है कि प्राचीन वास्तुशास्त्र के अनुरूप निर्मित भवनादि में शुभ फलों को प्रत्यक्ष देखा गया है और वास्तुशास्त्र के मूल नियमों के विरुद्ध बने हुए भवनों में अशुभ प्रभावों का प्रत्यक्ष प्रमाण देखा गया है। परन्तु आज जो वास्तुशास्त्र तीव्र गति से अपने पांव पसार रहा है वह शुद्ध रूप से भारतीय वास्तुशास्त्र के स्वरूप को प्रस्तुत नहीं कर रहा है। आज के अर्थप्रधान समय में वास्तुशास्त्र शास्त्रीय कम व्यावसायिक अधिक होता जा रहा है। अनेक काल्पनिक विधियों को जोडकर भारतीय वास्तुशास्त्र को विकृत किया जा रहा है। अतः इस पाठ्यक्रम की अत्यधिक आवश्यकता है। जिससे वास्तुशास्त्र को मूल भारतीय स्वरूप में ही प्रस्तुत किया जा सके।
Summary
Course Status : Completed
Course Type : Elective
Language for course content : English
Duration : 15 weeks
Category :
  • Architecture and Planning
Credit Points : 4
Level : Postgraduate
Start Date : 10 Jan 2022
End Date : 30 Apr 2022
Enrollment Ends : 28 Feb 2022
Exam Date :

Page Visits



Course layout

Week 1 :
Introduction to Indian Vastushastra (भारतीय वास्तुशास्त्र का परिचय)

Week 2: 
Various texts and scholars of Vastushastra (वास्तुशास्त्र के विभिन्न ग्रन्थ व आचार्य)

Week 3 :
Vastu purusha, concept of Ayadi, various measurements in Vastu (वास्तुपुरुष की परिकल्पना, आयादि सिद्धान्त, मापन के विभिन्न सिद्धान्त)

Week 4 :
Vastupadchakra, Introduction to Temple Architecture (वास्तुपदचक्र, देवालय वास्तु का परिचय)

Week 5 :
Various styles and general theories of Temple architecture (देवालय वास्तु के विभिन्न प्रभाग व सामान्य सिद्धान्त)

Week 6 :
Various traditions and foundation of temples (देवालयों की विभिन्न  परम्पराऐं एवं उनके आधार)

Week 7 :
Tree palntation in vastu, vasturatnavali text, part-1 (वास्तु में वृक्ष विन्यास, वास्तुरत्नावली, भाग-1)

Week 8 :
vasturatnavali text, part-2 (वास्तुरत्नावली, भाग-2)
Assignment-1

Week 9 :
Brihadvastumala text, part-1, 2 & 3 (बृहद्वास्तुमाला, भाग - 1, 2 व 3)

Week 10 :
Brihadvastumala text, part 4&5, Rooms configrations in house, Part-1 (बृहद्वास्तुमाला, भाग - 4 व 5, गृह में कक्ष विन्यास, भाग-1)

Week 11 :
Rooms configrations in house, Part-2 and 3, Examples of Vastu perfect and adverse houses (गृह में कक्ष विन्यास, भाग-2 व 3, वास्तुसम्मत व वास्तुविरुद्ध गृहों के उदाहरण)

Week 12 :
Roads near plot (गृह के समीपवर्ती मार्ग )

Week 13 :
Measurement techniques in Vastu, Vastu Shanti, Part- 1 and 2, (वास्तु में प्राचीन मापन की विधियां, वास्तु शान्ति भाग- 1 व 2)

Week 14 :
Vastu Shanti, Part- 3 and 4, City planning in Vastu (वास्तु शान्ति भाग- 3 व 4, वास्तु में नगर विन्यास)

Week 15 :
Deciding Door place, Introduction to commercial and industrial Vastu (वास्तु में द्वार का निर्धारण, व्यावसायिक और औद्योगिक वास्तु का परिचय)
Assignment 2

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Books and references

1. Vishwaskarma Prakash (विश्वकर्मा प्रकाश)
2. Mayamatam (मयमतम्)  
3. Vasturatnavali (वास्तु रत्नावली)
4. Brihadvastumala (बृहद्वास्तुमाला)
 5. Samaranganasutradhara (समरांगणसूत्रधार)
6. VastuSaukhyam (वास्तुसौख्यम्)
7. Brihatsamhita(बृहत्संहिता)
8. Devatamurtiprakaranam (देवतामूर्तिप्रकरणम्)

Instructor bio

Dr. Pravesh Vyas

Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University, New Delhi-16
Dr. Pravesh Vyas is having huge practical experience in Residential Vastu (Multistory Buildings, Society Designing, farm houses, Benglows, Houses, Flats,etc) and also in commercial Vastu (Markets, Malls, Shops, offices, Factories, Hospitals, school, Colleges, Hotels, Restaurants etc

He is Assistant Professor in Department of Vastu, 
Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University, New Delhi-16. He has UG & PG teaching experience of 8 years.

Previously he developed 13 e-content modules for epg-pathasala prepared for the paper Jyotisha and Vastushastra for Sanskrit(M.A.)

Course certificate

“30 Marks will be allocated for Internal Assessment and 70 Marks will be allocated for external proctored examination”


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