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Hindi Sahitya ka Itihaas

By Prof Subhash Chander   |   Kurukshetra University, Kurukshetra, Haryana
Learners enrolled: 728
प्रत्येक मनुष्य, समुदाय, राष्ट्र, देश की अपने इतिहास के प्रति जिज्ञासा स्वाभाविक है। कई तरीकों से इस जिज्ञासा का समाधान करने के प्रयास हुए हैं। इतिहास का शिकार ना हों इसके लिए ज़रूरी है नज़रिये का संतुलन। गाड़ी के शीशों की तरह। आगे देखने के लिए बहुत बड़ा शीशा है तो पीछे देखने के एक छोटा सा।आगे की सुरक्षित यात्रा के लिए पीछे का बोध।नजर आगे रहे पर पीछे का भी दृष्टि में रहे। किसी समाज और देश के साहित्य में समय की धड़कन को सुना जा सकता है। अपने समय की धड़कन सुनने की जद्दोजहद में ही इतिहास की ओर कदम उठता है।

अपनी साहित्यिक-सांस्कृतिक परंपराओं से इतिहास के माध्यम से जुड़ना संभव होता है। इतिहास के अध्ययन से विभिन्न युगों, धाराओं व रचनाकारों के साहित्य की विशिष्टताओं की समझ बढ़ती है। समकालीन साहित्य के विविध रूपों, आंदोलनों, विमर्शों के माध्यम से अपने युग का बोध भी होता है। संसार के यथार्थ के प्रति आलोचनात्मक संवेदनशील दृष्टि व संवेदनशील व्यक्तित्व के निर्माण में साहित्य की महती भूमिका है।

हिंदी साहित्य के इतिहास के अध्ययन से हिंदी साहित्य के सौंदर्य, कला तथा वैचारिक मूल्यों के प्रति विवेक का निर्माण होगा।इस पाठ्यक्रम में विभिन्न युगों के महान साहित्यकारों के जीवन और रचना कर्म के बारे में अध्ययन किया जाएगा। हिंदी साहित्य से परिचित होने के इच्छुक पाठकों के लिए उपयोगी रहेगा। 

इस पाठ्यक्रम के बाद विद्यार्थी को हिंदी साहित्य की विभिन्न धाराओं व साहित्यिक परपंराओं से परिचय के साथ साथ हिंदी साहित्य के बदलाव के बिंदुओं की पहचान होगी। आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल व आधुनिक काल की विभिन्न धाराओं व उनके प्रमुख साहित्यकारों की रचना क्षमता व अभिव्यक्ति की विशिष्टताओं की पहचान कर पाएगा। आधुनिक हिंदी साहित्य के विभिन्न आंदोलनों की जानकारी।हिंदी गद्य की विधाओं की विशिष्टता की समझ बढ़ेगी।
Summary
Course Status : Completed
Course Type : Core
Duration : 12 weeks
Category :
  • Language
Credit Points : 4
Level : Undergraduate
Start Date : 25 Jul 2022
End Date : 30 Oct 2022
Enrollment Ends : 15 Sep 2022
Exam Date :

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Course layout

हिंदी साहित्य का इतिहास

आदिकाल इतिहास लेखन और साहित्येतिहास लेखन, हिंदी साहित्य इतिहास लेखन की परंपरा, हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण, आदिकाल की विशेषताएं, आदिकालीन काव्यधाराएं और काव्यगत विशेषताएं (सिद्ध, नाथ, जैन, रासो, लौकिक)।

भक्तिकाल
भक्ति आन्दोलन: सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, संत काव्यधारा, सूफी काव्यधारा, कृष्ण काव्यधारा, राम कव्यधारा।
रीतिकाल रीतिकाल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, रीतिकालीन काव्यधाराएं व उनकी काव्यगत विशेषताएं (रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध तथा रीतिमुक्त)।

आधुनिक काल
1857 का स्वतंत्रता संघर्ष और हिन्दी नवजागरण, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और हिंदी साहित्य, भारतेन्दुयुगीन साहित्य की विशेषताएँ, महावीर प्रसाद द्विवेदी और उनका युग, छायावादः प्रवृतियां और प्रमुख कवि, प्रगतिवादः प्रवृतियां और प्रमुख कवि, प्रयोगवादः प्रवृतियां और प्रमुख कवि, नई कविताः प्रवृतियां और प्रमुख कवि, समकालीन कविताः प्रवृतियां और प्रमुख कवि।

हिंदी गद्य का विकास
हिंदी पत्रकारिताः उद्भव और विकास, हिंदी निबंधः उद्भव और विकास, हिंदी उपन्यासः उद्भव और विकास, हिंदी कहानीः उद्भव और विकास, हिंदी नाटकः उद्भव और विकास, हिंदी संस्मरणः उद्भव और विकास, हिंदी रेखाचित्रः उद्भव और विकास, हिंदी जीवनीः उद्भव और विकास, हिंदी आत्मकथाः उद्भव और विकास।

अस्मितामूलक विमर्श दलित विमर्शः वैचारिकी और साहित्यिक विकास, स्त्री विमर्शः वैचारिकी और साहित्यिक विकास आदिवासी विमर्शः वैचारिकी और साहित्यिक विकास।

Books and references

  • साहित्येतिहासः संरचना और स्वरूप, सुमन राजे, ग्रन्थम कानपुर, 1975 
  • हिन्दी साहित्य का आदिकाल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना, 1961
  • हिन्दी साहित्य की भूमिका, हजारी प्रसाद द्विवेदी, हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर, बम्बई, 1963
  • हिन्दी साहित्य का अतीत (भाग-1,2), विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, वाणी प्रकाशन, 1960
  • हिन्दी साहित्य का इतिहास, रामचन्द्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, 1961
  • हिन्दी साहित्य का इतिहास (स. नगेन्द्र), नेशनल पब्लिशिंग हाऊस, दिल्ली, 1973
  • हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास, गणपतिचन्द्र गुप्त, लोकभारती प्रकाशन
  • हिन्दी  साहित्य का दूसरा इतिहास, बच्चन सिंह, राधाकृष्ण प्रकाशन
  • साहित्य और इतिहास दृष्टि – मैनेजर पांडेय
  • हिंदी साहित्य के इतिहास की समस्याएं – अवधेश प्रधान
  • भक्ति आंदोलन और भक्तिकाव्य – शिवकुमार मिश्र
  • आधुनिक हिन्दी कविता का इतिहास- डॉ. नन्दकिशोर नवल
  • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां – नामवर सिंह
  • आधुनिक साहित्य – नंददुलारे वाजपेयी
  • छायावाद- नामवर सिंह
  • हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास – रामस्वरूप चतुर्वेदी
  • हिंदी साहित्य का इतिहास – लालचंद गुप्त मंगल

Instructor bio

Prof Subhash Chander

Kurukshetra University, Kurukshetra, Haryana
डा. सुभाष चन्द्र

प्रोफेसर, हिन्दी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र

फोन नं. 9416482156

शैक्षणिक योग्यताः एम. ए., एम. फिल. (स्वर्ण पदक विजेता), पीएच. डी.

अध्यापन अनुभवः 24 वर्ष

ज्ञान वृद्धि में योगदानः 21 पुस्तकें व पत्र-पत्रिकाओं में 50 के करीब पत्र प्रकाशित (साहित्य, शिक्षा, सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर) पीएच. डी. व एम. फिल. के शोधार्थियों को शोध निर्देशन

ज्ञान-प्रसार में योगदानः राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक-सांस्कृतिक-साहित्यिक-शैक्षिक विषयों पर अनेक संगोष्ठियों के आयोजन, मुख्य वक्ता, पत्र-वाचन आदि में सक्रिय भूमिका व योगदान।

शिक्षा सुधार के कार्य में सक्रियताः राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर पन्द्रह वर्षों से विभिन्न शिक्षा-समितियों, शैक्षिक-संगठनों व शिक्षक संघों में सक्रिय हिस्सेदारी और शिक्षा जगत व शिक्षण-संस्थाओं के संचालन के समस्त पहलुओं की समझ।

 सामाजिक सक्रियताः सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से मिलकर साम्प्रदायिक सद्भाव, सामाजिक भाईचारा, लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय, साक्षरता व प्रजातांत्रिक मूल्यों के प्रसार में सक्रिय भागीदारी का जीवन्त अनुभव।

सम्मानः हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा समीक्षा-लेखन के लिए पुरस्कृत

संपादनः देस हरियाणा पत्रिका के संपादक प्रकाशन सूची

पुस्तकें
1 सांझी संस्कृति;
2 हरियाणा में उच्च शिक्षाः गहराता संकट;
3 दलित आत्मकथाएं : अनुभव से चिंतन
4 भीष्म साहनीः साहित्य और जीवन-दर्शन;
5 साम्प्रदायिकता;
6 अल्ताफ हुसैन हाली: चिन्तन और सृजन;
7 दलित मुक्ति की विरासत: संत रविदास;
8 दलित मुक्ति आन्दोलनः सीमाएं और संभावनाएं;
9 साझी संस्कृति की विरासत,
10. हरियाणा की कविताः जनवादी स्वर,

अनुवाद
11 भारत में साम्प्रदायिकताः इतिहास और अनुभव;
12 आजाद भारत में साम्प्रदायिकता और साम्प्रदायिक दंगे;
13 छिपने से पहले (नाटक, पंजाबी से हिन्दी),
14 हरियाणा की राजनीतिः धन और जाति का खेल;

संपादन
15 जाति क्यों नहीं जाती ?
16 मेरी कलम से,
17 आम्बेडकर से दोस्ती समता और मुक्ति,
18 अल्ताफ हुसैन हाली पानीपती: चुनिंदा नज़्में व ग़ज़लें;
19 दस्तक;
20 दस्तक-2009;
21 हरियाणवी लोकधाराः प्रतिनिधि रागनियां,
22. श्रीकृष्ण और उनकी गीताः प्रतिक्रांति की दार्शनिक पुष्टि

पुस्तिकाएं
सामाजिक लिंगभेद; कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
उदभावना (त्रैमासिक) खाप पंचायतें और हमारा समाज विशेषांक का संपादन
देस हरियाणा पत्रिका के संपादक https://desharyana.in/

Course certificate

समस्त परीक्षा आनलाइन होगी. कुल अंक 100 (30 अंक आंतरिक 70 बाहरी मूल्यांकन के लिए) आंतरिक परीक्षा के लिए 30 अंक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न 20 अंक + आनलाइन गतिविधियों से जैसे पाठ्य सामग्री पाठन व चर्चा में भागीदारी 10 अंक)


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