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Hindi Bhasha ka Udbhav aur Vikas

By DR. GANGA SAHAY MEENA   |   JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI
Learners enrolled: 2193
यह कोर्स हिंदी भाषा के उद्भव और विकास के बारे में है। इसमें हम भाषा की उत्‍पत्ति के विभिन्‍न सिद्धांतों, विभिन्‍न विचारों और उनकी सीमाओं से बात शुरू करके इंसानों और पशु-पक्षियों की भाषा के संबंध को समझेंगे। साथ ही हम भाषा में होने वाले बदलावों का अध्‍ययन करने वाली भाषाविज्ञान की शाखा ऐतिहासिक भाषाविज्ञान का संक्षिप्‍त परिचय प्राप्‍त करेंगे। भारत एक बहुभाषी देश है। हिंदी के उद्भव की गुत्‍थी को सुलझाने से पहले हम भारत के भाषा परिवारों और प्रमुख भाषाओं का अतिसंक्षिप्‍त परिचय प्राप्‍त करेंगे। यह जानना बहुत दिलचस्‍प है कि हिंदी की उत्‍पत्ति कैसे हुई! इसकी उत्‍पत्ति के बारे में हम विभिन्‍न विद्वानों के मतों को जानेंगे। हिंदी की उत्‍पत्ति का संबंध संस्‍कृत और अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इस कोर्स के माध्‍यम से हम इन संबंधों की पड़ताल करेंगे। हिंदी के वर्तमान स्‍वरूप के विकास से पहले खड़ी बोली के कई साहित्यिक रूप विकसित थे, जैसे दकनी, उर्दू, हिंदुस्‍तानी आदि। इन सबका संक्षिप्‍त परिचय भी इस कोर्स में प्रस्‍तुत किया जाएगा। यह जानना भी रोचक है कि हिंदी के विकास में अंग्रेजों और उनकी संस्‍थाओं की भूमिका किस प्रकार की रही। फोर्ट विलियम कॉलेज और ईस्‍ट इंडिया कंपनी की भाषा नीति के माध्‍यम से हम इसे समझेंगे। उन्‍नीसवीं सदी हिंदी के विकास की दृष्टि से निर्णायक सदी है। आधुनिकता की अवधारणा और राजभाषा के सवाल से हिंदी के स्‍वरूप निर्धारण और विकास का गहरा संबंध है। साथ ही उन्‍नीसवीं सदी के नवजागरण के पुरोधाओं, यथा राजा शिवप्रसाद, भारतेंदु, बालकृष्‍ण भट्ट, अयोध्‍याप्रसाद खत्री, महावीर प्रसाद द्विवेदी, देवकीनंद खत्री आदि का हिंदी के विकास में उल्‍लेखनीय योगदान है। इस कोर्स के तहत हम हिंदी के विकास में भूमिका निभाने वाली संस्‍थाओं व हिंदी के आरंभिक पत्र-पत्रिकाओं की भी चर्चा करेंगे। इस प्रक्रिया में निर्मित हुए हिंदी के मानकीकृत स्‍वरूप व इसकी लिपि देवनागरी के इतिहास को जानेंगे।

हिंदी ने स्‍वाधीनता आंदोलन की भाषा बनकर देश को एक सूत्र में जोड़ने का काम किया। हिंदी के बारे में गांधी जी, नेहरू जी, लोहिया जी आदि नेता क्‍या सोचते थे, यह भी जानना दिलचस्‍प होगा। हिंदी कैसे भारत की राजभाषा बनी और राजभाषा के रूप में कितनी सफल रही- यह भी हम जानेंगे। हिंदी प्रदेश की लोकभाषाओं के साथ हिंदी के संबंधों की पड़ताल करते हुए हम आज के दौर की, सूचना-तकनीक की हिंदी की बात करेंगे। जाहिर है यही बातें हमें हिंदी के भविष्‍य के बारे में संकेत करेंगी। निष्‍कर्षत: यह कोर्स हिंदी भाषा के उद्भव और विकास से जुड़े महत्‍त्‍वपूर्ण बिंदुओं पर समझदारी विकसित कर सकेगा, ऐसा विश्‍वास है।
Summary
Course Status : Upcoming
Course Type : Core
Language for course content : Hindi
Duration : 15 weeks
Category :
  • Language
Credit Points : 4
Level : Postgraduate
Start Date : 14 Jul 2025
End Date : 31 Oct 2025
Enrollment Ends : 31 Aug 2025
Exam Date :
NCrF Level   : 6.0, 7.0
Industry Details : Teaching, Translation

Page Visits



Course layout

पहला सप्‍ताह
भाषा के उद्भव का सवाल और ऐतिहासिक भाषाविज्ञान, भारत के भाषा परिवार और प्रमुख भाषाएं

दूसरा सप्‍ताह
हिंदी के उद्भव के बारे में विभिन्‍न विद्वानों के मत, अपभ्रंश

तीसरा सप्‍ताह
अवहट्ट और पुरानी  हिंदी, संस्‍कृत और हिंदी का संबंध

चौथा सप्‍ताह
खड़ी बोली के साहित्यिक रूपों का विकास : दकनी,  उर्दू  हिंदी, हिंदुस्‍तानी, हिंदवी

पांचवां सप्‍ताह
फोर्ट विलियम कॉलेज और  हिंदी गद्य का विकास, ईस्‍ट इंडिया कंपनी की भाषा नीति

छठा सप्‍ताह
19वीं सदी और  हिंदी भाषा के स्वरूप का प्रश्‍न, पश्चिमोत्तर प्रांत में शिक्षा का माध्यम और राजभाषा का प्रश्‍न, आधुनिकता और खड़ी बोली हिंदी का विकास

सातवां सप्ताह
हिंदी के विकास में राजा शिवप्रसाद का योगदान, हिंदी के विकास में भारतेन्दु हरिश्‍चन्द्र का योगदान, हिंदी के विकास में अयोध्या प्रसाद खत्री का योगदान

आठवां सप्‍ताह
हिंदी के विकास में बालकृष्‍ण भट्ट का योगदान, हिंदी के विकास में देवकीनन्दन खत्री का योगदान, खड़ी बोली बनाम ब्रजभाषा विवाद

नवां सप्‍ताह
हिंदी के विकास में विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं का योगदान, 19वीं सदी का उर्दू-हिंदी विवाद, हिंदी के संस्कृतनिष्‍ठ रूप का विकास

दसवां सप्‍ताह
भारतीय लिपियां और देवनागरी, हिंदी के विकास में विभिन्‍न संस्‍थाओं का योगदान, हिंदी के विकास में महावीर प्रसाद द्विवेदी का योगदान, हिंदी का मानकीकरण

ग्‍यारहवां सप्‍ताह
स्वाधीनता आंदोलन और  हिंदी, महात्‍मा गांधी का हिंदी के प्रति रुख, राममनोहर लोहिया की भाषा नीति

बारहवां सप्‍ताह
स्वतंत्र भारत की राजभाषा का प्रश्‍न और  हिंदी, संविधान सभा में हिंदी, राजभाषा और  हिंदी की आत्मा  

तेरहवां सप्‍ताह
हिंदी प्रदेश की लोक भाषाओं के साथ हिन्दी का सम्बन्ध

चौदहवां सप्‍ताह
आज की  हिंदी, कंप्‍यूटर और हिंदी

पंद्रहवां सप्‍ताह
इं‍टरनेट की दुनिया में हिंदी, वैश्‍वीकरण के दौर में हिंदी, हिंदी का भविष्‍य

Books and references

·          अवस्थी, मोहन, हिंदी साहित्य का अद्यतन इतिहास, सरस्वती प्रेस, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण- 1990

·          अवस्थी, मोहन, हिंदी साहित्य का विवेचनपरक इतिहास, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण- 2008

·          जलज, डॉ. जयकुमार,  ऐतिहासिक भाषाविज्ञान, भारतीय ग्रंथ निकेतन, नई दिल्ली, प्रकाशन वर्ष: 2001

·          डॉ. धर्मवीर, हिंदी की आत्‍मा, समता प्रकाशन, नई दिल्‍ली, 2002

·          तिवारी, डॉ. भोलानाथ, भाषा विज्ञान, किताब महल, चौवनवाँ संस्करण: 2010

·          द्विवेदी, हजारी प्रसाद, हिंदी साहित्य: उद्भव और विकास, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, आठवीं आवृत्ती- 2009

·          पांडे, हेमचन्द्र,  भाषा: स्वरूप और संरचना, ग्रंथलोक, द्वितीय संस्करण:2015

·          पाण्डेय, डॉ. लक्ष्मीकान्त और डॉ. प्रमिला अवस्थी,  भाषा विज्ञान एवं हिन्दी भाषा,  आशीष प्रकाशन, कानपुर,  तृतीय संस्करण: 2009

·          प्रकाश, अरुण, गद्य की पहचान, अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद, (उत्तर प्रदेश), पहला संस्करण- 2012

·          मैक्समूलर, एफ., (अनुवादक- उदयनारायण तिवारी),  भाषा विज्ञान [The Science of Language], मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली; प्रथम संस्करण: जनवरी 1970

·          वत्स, डॉ. जितेन्द्र और डॉ. देवेन्द्र प्रसाद सिंह,  भाषा विज्ञान और हिन्दी भाषा,  निर्मल पब्लिकेशन्स; संस्करण: 2011

·          वाजपेयी, किशोरीदास, हिंदी शब्‍दानुशासन, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संवत् 2014

·          वार्ष्णेय, लक्ष्मीसागर,  हिंदी साहित्य का इतिहास, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण- 2006

·          शर्मा, डॉ. रामविलास, (सं. राजमल बोरा),  ऐतिहासिक भाषाविज्ञान और हिन्दी भाषा,  राजकमल प्रकाशन, पहला संस्करण: 2001

·          शर्मा, रामविलास, भारतीय साहित्य की भूमिका, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, , प्रथम संस्करण- 1996

·          शर्मा, रामविलास, भाषा और समाज, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली; पाँचवाँ संस्करण: 2002, आवृत्ति: 2011

·          शुक्ल, रामचंद्र, हिंदी साहित्य का इतिहास, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, नवीन संस्करण- संवत 1986

·          सक्सेना, बाबूराम,  सामान्य भाषाविज्ञान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग; प्रकाशन वर्ष: 1983

·          सिंह, बच्चन,  हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, चौथी आवृत्ती- 2005

·          सिंह,बच्चन, आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण- 2011

·          स्नातक, विजयेन्द्र, हिंदी साहित्य का इतिहास, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण- 1996

Instructor bio

DR. GANGA SAHAY MEENA

JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI
राजस्‍थान के सवाई माधोपुर जिले के सेवा गांव में जन्‍म. उच्‍च शिक्षा- जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय नई दिल्‍ली से. आदिवासी लेखन की त्रैमासिक पत्रिका 'आदिवासी साहित्‍य' के संस्‍थापक-संपादक. 6 किताबें, करीब दो दर्जन शोध आलेख और विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में सैंकड़ों आलेख प्रकाशित. पुरस्‍कार- 'दलित आदिवासी संवाद लेखन पुरस्‍कार 2011' और 'रुक्‍मणी देवी युवा पुरस्‍कार 2017' से सम्‍मानित. लगभग सौ राष्‍ट्रीय-अंतर्राष्‍ट्रीय गोष्ठियों में भागीदारी. विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 'यूजीसी रिसर्च अवार्ड 2014-16'. अध्‍यापन कार्य- दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय (नई दिल्‍ली), पांडिचेरी विश्‍वविद्यालय (पुदुच्‍चेरी), जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय (नई दिल्‍ली) और अंकारा विश्‍वविद्यालय, (अंकारा, तुर्की) में. संप्रतिः एसोसिएट प्रोफेसर, भारतीय भाषा केन्‍द्र, जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय, नई दिल्‍ली-67


Course certificate

The course is free to enroll and learn.

Please take note of the following eligibility criteria if you are pursuing this course for certification or credit transfer:

  • For SWAYAM Exam (conducted by NTA): A minimum of 40% Marks in Internal Assessments is required to be eligible for the SWAYAM Certificate. The Best/Top five scores from the weekly assignments will be considered while calculating your final internal assessment marks.
  • For University-Conducted Exam: You must complete at least 75% of the Internal Assessments to qualify for the university’s end-term examination.


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