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SSB-003: Sambhashanam (सरल संस्‍कृत बोध ‘’ सम्‍भाषणम् ‘’)

By डॉ. देवेश कुमार मिश्र   |   इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
Learners enrolled: 151

सरल संस्‍कृत बोधस्‍य अस्‍य पाठ्यक्रमस्‍य नाम सम्‍भाषणम् अस्ति । अस्मिन्‍ पाठ्यक्रमे भवताम् अध्‍ययनाय , सम्‍भाषणाय विविधविषयान् अधिकृत्‍य संवादानां वर्णनम् अस्ति । यथा- पिता-पुत्र संवाद: , मातृ-पुत्र संवाद: , भातृ-भगिनी संवाद: ,गुरू- शिष्‍य संवाद: ,चिकित्‍सक- रोगी संवाद: , वणिक् – क्रेता संवाद: । 


सरल संस्‍कृत बोध का यह सम्‍भाषण नामक पाठ्यक्रम है। इसमें आप सभी का अभिनन्‍दन है इस पाठयक्रम में आपके अध्‍ययन और सम्‍भाषण  के लिए विविध विषयों को अधिकृत करके संवादों का वर्णन किया है। जैसे पिता-पुत्र संवाद , मातृ-पुत्र संवाद: , भातृ-भगिनी संवाद ,गुरू- शिष्‍य संवाद: ,चिकित्‍सक- रोगी संवाद , वणिक् – क्रेता संवाद । 


Summary
Course Status : Completed
Course Type : Core
Language for course content :
Duration : 16 weeks
Category :
  • Language
Credit Points : 4
Level : Certificate
Start Date : 01 Sep 2022
End Date :
Exam Date :

Page Visits



Course layout

सप्ताह

शीर्षक

सप्ताह-1

पितृ-पुत्र संवाद: 

        सप्ताह-2

मातृ- पुत्र संवाद: 

सप्ताह-3

भ्रातृ-भगिनी संवाद: 

सप्ताह-4

परिवारजनेषु संवाद: 

सप्ताह-5

पति-पत्‍नी संवाद: 

सप्ताह-6

गुरू- शिष्‍य संवाद: 

सप्ताह-7

कक्षायां छात्राणां वार्तालाप: - प्रथमो भाग: 

सप्ताह-8

कक्षायां छात्राणां वार्तालाप: - द्वितीयो भाग: 

सप्ताह-9

मित्रसंवाद: - प्रथमो भाग:

सप्ताह-10

मित्रसंवाद: - द्वितीयो भाग:

सप्ताह-11

चिकित्‍सक-रोगी संवाद: - प्रथमो भाग:

सप्ताह-12

चिकित्‍सक-रोगी संवाद: - द्वितीयो भाग:

सप्ताह-13

वणिक् – क्रेता संवाद: - प्रथमो भाग:

सप्ताह-14

वणिक् – क्रेता संवाद: - द्वितीयो भाग:

सप्ताह-15

संस्कृतकथाः  

सप्ताह-16 

संस्कृतगीतानि, हास्यकणिका च

Books and references

Instructor bio

डॉ. देवेश कुमार मिश्र

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय गोरखपुर से  डॉ0 मिश्र ने संस्‍कृत विषय में स्‍वर्ण पदक के साथ परास्‍नातक उपाधि प्राप्‍त करके दो बार यू.जी.सी. नेट, जे.आर.एफ. परीक्षा उत्‍तीर्ण की।  2005 में 16 वीं शताब्‍दी के आधुनिक काव्‍यशास्‍त्रीय ग्रन्‍थ अलंकारशेखर की पाण्डुलिपि प्राप्‍त करके शोधकार्य सम्‍पन्‍न किया । साथ ही शिक्षाशास्‍त्र में बी.एड. उपाधि भी ग्रहण की । प्राचीन इतिहास विषय में परास्‍नातक उपाधि एक अतिरिक्‍त उपलब्धि  है । संस्‍कृत भाषा के व्‍याकरण के पठन- पाठन हेतु दो पुस्‍तकें गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के स्‍नातक पाठ्यक्रमानुसार प्रकाशित व प्रचलित भी हैं । इनके राष्‍ट्रीय तथा अन्‍तर्राष्‍ट्रीय पत्रिकाओं में 20 से अधिक गवेषणात्‍मक शोध पत्र भी प्रकाशित हैं । डॉ0 मिश्र ने सम्पादित पुस्‍तकों में अध्‍याय  लेखन के साथ-साथ पुनश्‍चर्या पाठ्यक्रमों में कई व्‍याख्‍यान भी दिये हैं । ऑनलाइन व्‍याख्‍यानों की श्रृखंला में 25 से अधिक व्‍याख्‍यान आपने विभिन्‍न विषयों पर प्रदान किया है। दूरस्‍थ शिक्षा के संस्‍कृत विषयक विभिन्‍न क्षेत्रों में 50 से अधिक इकाईया लिखित व प्रकाशित हैं।


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