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MHD-01: आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी काव्य

By डॉ. रीता सिन्हा   |   इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
Learners enrolled: 134

‘MHD 01 आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिंदी कविता’ का यह 4 क्रेडिट का अनिवार्य पाठ्यक्रम है । इस पाठ्यक्रम में आदिकाव्य, भक्तिकाव्य और रीतिकाव्य का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है । आदिकाव्य के अंतर्गत पृथ्वीराज रासो और विद्यापति पदावली का अध्ययन किया गया है । भक्तिकाव्य के अंतर्गत कबीर, जायसी, सूर, मीरा और तुलसी की रचनाओं का अध्ययन किया गया है । रीतिकाव्य में बिहारी, घनानंद और पद्माकर की कविता को शामिल किया गया है । इस पाठ्यक्रम का मूल उद्देश्य आदिकालीन, भक्तिकालीन और रीतिकालीन प्रमुख रचनाओं और रचनाकारों का अध्ययन करना है । यह पाठ्यक्रम मूलतः कविता पर आधारित है इसलिए इस पाठ्यक्रम में गद्य रचनाओं को शामिल नहीं किया गया है । वैसे भी हमारे अध्ययनकाल में रची गई रचनाओं में कविता की ही प्रधानता रही है । इस युग में गद्य की धारा अत्यंत क्षीण रही है । इस पाठ्यक्रम का यह भी उद्देश्य है कि आप किसी कालखंड की विशेषताओं के अध्ययन के साथ ही उस कालखंड की कविता का भी अध्ययन करें जिससे आपको उस काल विशेष की काव्य प्रवृत्तियों और वैचारिकता को समझने में मदद मिलेगी । 

इन कवियों का चयन इस आधार पर किया गया है कि इनके अध्ययन में युग की विशिष्टतायें और प्रवृत्तियां दृष्टिगत हों । आदिकाल और भक्तिकाल की प्रत्येक रचना या रचनाकार पर दो-दो इकाइयां तैयार की गई हैं । पहली इकाइयों में रचना और रचनाकार का सामान्य परिचय, युग और पृष्ठभूमि प्रस्तुत की गई है । दूसरी इकाइयों में काव्य विशेष का अध्ययन किया गया है । रीतिकाव्य के अंतर्गत तीन कवियों को शामिल किया गया है और तीनों रचनाकारों और उनकी रचनाओं को केंद्र में रखकर एक-एक ही इकाई तैयार की गई है । इसमें रीतिकाल की तीन प्रमुख प्रवृत्तियों रीतिसिद्ध, (बिहारी), रीतिमुक्त (घनानंद) और रीतिबद्ध (पद्माकर) का एक-एक इकाइयों में अध्ययन किया गया है । यह पाठ्यक्रम आदिकालीन एवं मध्यकालीन कविता का पूर्ण अध्ययन तो प्रस्तुत नहीं करता लेकिन इसे पढ़ने के उपरांत आप इन काल खंडों की प्रमुख काव्यगत विशेषताओं और प्रमुख कवियों की रचनाओं से परिचित हो सकेंगे और इसके माध्यम से पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण कवियों-रचनाकारों को पढ़ने और समझने में सक्षम होंगे ।


Summary
Course Status : Completed
Course Type : Core
Language for course content : Hindi
Duration : 16 weeks
Category :
  • Humanities and Social Sciences
Credit Points : 4
Level : Postgraduate
Start Date : 30 Jan 2023
End Date :
Enrollment Ends : 15 Mar 2023
Exam Date :

Page Visits



Course layout

Week – 1  

इकाई 1 :  पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता, भाषा और काव्यरूप  

इकाई 2 : पृथ्वीराज रासो का काव्यत्व

Week – 2

इकाई 3 : विद्यापति और उनका युग

Week – 3  

इकाई 4 : गीतिकाव्य के रूप में विद्यापति पदावली

Week – 4

इकाई 5 : कबीर की विचार चेतना और प्रासंगिकता 

Week – 5  

इकाई 6 : कबीर का काव्य शिल्प

Week – 6

इकाई 7 : सूफी मत और जायसी का पद्मावत

Week – 7

इकाई 8 : पद्मावत में लोक परंपरा और लोकजीवन

Week – 8

इकाई 9 : भक्ति आंदोलन के संदर्भ में सूर काव्य का महत्व

Week – 9

इकाई 10 : सूरदास के काव्य में प्रेम

Week – 10  

इकाई 11 : मीरा का काव्य और समाज

Week – 11

इकाई 12 : मीरा का काव्य सौंदर्य

Week – 12  

इकाई 13 : तुलसी के काव्य में युग संदर्भ

Week – 13

इकाई 14 : एक कवि के रूप में तुलसीदास

Week – 14

इकाई 15 : बिहारी के काव्य का महत्व

Week – 15  

इकाई 16 : घनानंद के काव्य में स्वच्छंद चेतना

Week – 16

इकाई 17 : पद्माकर की कविता

Books and references


  1. काव्यशास्त्र, डॉ. भागीरथ मिश्र

  2. संस्कृत आलोचना, आचार्य बलदेव उपाध्याय

  3. भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका, डॉ.नगेंद्र

  4. रस विमर्श, आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी 

  5. पाश्चात्य काव्यशास्त्र, डॉ.देवेन्द्रनाथ शर्मा 

Instructor bio

डॉ. रीता सिन्हा

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
डॉ. रीता सिन्हा एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी संकाय मानविकी विद्यापीठ, इग्नू डॉ. रीता सिन्हा इग्नू के मानविकी विद्यापीठ में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं । शिक्षा-एम.ए (हिंदी),बी.एड., पीएच.डी. प्राध्यापन- सन् 2007 से मिरांडा हाउस, कमला नेहरू कॉलेज, एसपीएम कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में तदर्थ असिस्टेंट प्रोफेसर 06.09.2016 से 22.08.2021 तक वर्द्धमान विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर । संप्रति- मानविकी विद्यापीठ हिंदी, इग्नू में एसोसिएट प्रोफेसर । लेखन- सन् 1988 से सन् 1995-2003 तक आकाशवाणी पटना से कहानियों, कविताओं एवं वार्ताओं का प्रसारण। सन् 2003-2005 तक पटना दूरदर्शन से कविताएँ प्रसारित । * पुस्तक - आलोचनात्मक पुस्तक ‘पुनर्सृजनःअंतर्दृष्टि और यथार्थबोध’, समकालीन कथा साहित्य का सौंदर्यशास्त्र; कहानी संग्रह-‘डेस्कटॉप’ और ‘इनबॉक्स के अधूरे पन्ने’; कविता संग्रह- ‘ठहर गया बसंत’ * समीक्षा एवं लेख-समकालीन भारतीय साहित्य, भाषा, पूर्वग्रह, गगनांचल, विश्वभारती पत्रिका, आजकल, समीक्षा, आगमन, मुक्तांचल, पाखी, नई धारा, इंडिया टुडे, दि पब्लिक एजेंडा, जनसत्ता, लमही, वागर्थ, हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा आदि में दो सौ से अधिक आलोचनात्मक लेख और समीक्षाएँ प्रकाशित। * कथादेश, नई धारा, पाखी, वागर्थ, जनसत्ता का वार्षिक विशेषांक, जनसत्ता आदि में कहानियाँ प्रकाशित।


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