एम. ए. हिंदी के विद्यार्थियों के लिए MHD-14: हिंदी उपन्यास -1 (प्रेमचंद का विशेष अध्ययन) का यह पाठ्यक्रम प्रस्तुत है। यह 4 क्रेडिट का पाठ्यक्रम है। एम. ए. हिंदी के अन्य पाठ्यक्रमों में आपने विभिन्न रचनाकारों और उनकी कृतियों यानी सृजनात्मक साहित्य का अध्ययन किया है। प्रस्तुत पाठ्यक्रम में आप हिंदी उपन्यास-1 (प्रेमचंद का विशेष अध्ययन) करेंगे। हो सकता है कि आपमें से कुछ विद्यार्थियों ने स्नातक स्तर पर प्रेमचंद और उनके उपन्यासों का अध्ययन किया होगा किंतु प्रेमचंद का विषेष अध्ययन आपके लिए अत्यंत रुचिकर और ज्ञानवर्द्धक होगा। आपने प्रेमचंद के उन चार उपन्यासों को अवश्य पढ़ा होगा जिन्हें हमने इस पाठ्यक्रम में शामिल किया है। ऐसा करने पर ही आप उपन्यास के सभी पक्षों पर विस्तार से विचार कर सकेंगे। प्रेमचंद के कथा संसार में मानवीय अनुभव की विविधता ठोस यथार्थ के धरातल पर अवस्थित है। इस अनुभव को प्रेमचंद ने वैचारिक संघर्ष और सामाजिक संदर्भों से अर्जित किया था। इसी का नतीजा है कि प्रेमचंद के साहित्य में सामान्य मनुष्य को पृष्ठभूमि में न रखकर केंद्र में रखा गया है तथा उसकी संवेदना, पीड़ा और संकट को साहित्य में उठाया गया है। जब आप उनके उपन्यासों का अध्ययन करेंगे तो पाएँगे कि उनके साहित्य में ऐसे पात्र भी हैं जो रूढ़ि जर्जर संस्कारों से संघर्ष ही नहीं करते अपितु उन औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ भी खड़े होते हैं, जो उनका शोषण कर रहे हैं। प्रेमचंद जिस समय लिख रहे थे, वह समय भारतीय समाज में पूँजीवाद का प्रारंभिक दौर था। पूँजीवाद ने उन संपूर्ण रिश्तों को खोखला बना दिया था, जिन पर हमारी सामाजिक संरचना टिकी हुई थी। प्रेमचंद का महत्व इस बात में भी है कि वे जीवनानुभव के संदर्भ में पूँजीवाद के अमानवीय पहलू को उभारते हुए, सामाजिक मान्यताओं के अंधविश्वासों और कुरीतियों की आलोचना करते हैं। आज के दौर में, जब सामाजिक विषमता में बढ़ोत्तरी हुई है, प्रेमचंद का मूल्य और अधिक बढ़ जाता है। प्रस्तुत पाठ्यक्रम में मुंशी प्रेमचंद के निम्नलिखित उपन्यासों को विस्तृत अध्ययन के लिए शामिल किया गया है-सेवासदन, प्रेमाश्रय, रंगभूमि और गबन।
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