सरल संस्कृतस्य प्रथमबोध: संस्कृत-भाषाशिक्षणस्य प्रथमं सोपानम् अस्ति। अस्मिन् पाठ्यक्रमे वर्णमाला ज्ञानादाराभ्य शब्दपरिचय , संज्ञा, सर्वनाम, शुद्धाशुद्धशब्दानां विचार:, संख्यापरिचय: , गृहोपकरण , शरीरावयवानां , सम्बन्धवाचकशब्दानां , व्यवसायवाचकनामावली , विभक्ति ,पुरूष ,वचन, सन्धिसमासकारकादीनां वर्णनम् अस्ति ।
यह पाठ्यक्रम भाषा शिक्षण का प्रथम सोपान है। इसमें वर्णमाला के ज्ञान से आरम्भ करके संज्ञ, सर्वनाम, शु्द्ध और अशुद्ध शब्दों का विचार, संख्या परिचय , घरेलू उपकरण, शरीर के अवयव, सम्बन्धों के वाचक शब्द, व्यवसाय वाचक शब्दों की नामावली के साथ विभक्ति, वचन, पुरूष, सन्धि, समास और कारकों का सरल भाषा में वर्णन किया गया है।
भाषाप्रवेशः – डॉ. चाँद किरण सलूजा – संस्कृत भारती दिल्ली
संस्कृतरचना – श्री वामन शिवराम आप्टे - चौखम्बा विद्याभवन वाराणसी
संस्कृत शिक्षण सरणी – आचार्य राम शास्त्री - परिमल पब्लिकेशन दिल्ली
अनुवादरत्नाकरः - डॉ. रमाकान्त त्रिपाठी – चौखम्बा विद्याभवन वाराणसी
बृहद् अनुवाद चन्द्रिका - चक्रधर नौटियाल ‘हंस’ शास्त्री – मोतीलाल बनारसीदास
डॉ. आशीष कुमार संस्कृत पत्रकारिता के क्षेत्र में एक सुप्रसिद्ध नाम है। वे डीडी न्यूज़ चैनल में एक प्रसिद्ध संस्कृत समाचार प्रवाचक, सम्पादक और वार्ताहर हैं। वे संस्कृत नाटकों के सृजनात्मक लेखक हैं। उन्हें दिल्ली संस्कृत अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा "फेसबुकस्य अनारकली" नामक नाटक के लिए अखिल भारतीय संस्कृत लघु नाटक लेखन प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उनके द्वारा लिखे नाटकों का मञ्चन अनेक अवसरों पर किया जाता है।
वर्तमान में डॉ. आशीष कुमार इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), नई दिल्ली में संस्कृत के असिस्टेण्ट प्रोफेसर हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज महाविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने यूजीसी-नेट/जेआरएफ (JRF) के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के ही संस्कृत विभाग से मीमांसा दर्शन में विद्यावारिधि (Ph. D) की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी महाविद्यालय, संस्कृत विभाग में 9 वर्षों से भी अधिक समय तक अध्यापन कार्य किया। उनके अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 22 शोध पत्र और पुस्तकों में 5 अध्याय प्रकाशित हैं तथा वे 4 पुस्तकों के प्रमुख सम्पादक भी हैं। डॉ. कुमार ने देश और विदेशों में अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मेलनों में विभिन्न विषयों पर 14 शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। वे ज्योतिष, संस्कृत और हिन्दी से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं के सह-सम्पादक हैं। उन्हें 23 अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों द्वारा विषय-विशेषज्ञ और वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है। साथ ही उन्होंने 6 राष्ट्रीय कार्यशालाओं का भी आयोजन किया है। उन्होंने 42 अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यशालाओं में तथा 26 अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है।
डॉ. कुमार ने भारत देश सहित ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और सिंगापुर आदि देशों में अनेक संस्कृत सम्भाषण शिविरों का आयोजन किया है। पाण्डुलिपियों का सम्पादन और प्रकाशन, संस्कृत पत्रकारिता हेतु पाठ्यक्रम-निर्माण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ संस्कृत का सम्बन्ध, सरल मानक संस्कृत का प्रचार-प्रसार, विधि और धर्मशास्त्र का अन्तःसम्बन्ध, संस्कृत और रूसी भाषा का अन्तःसम्बन्ध, बौद्ध धर्म और पूर्वमीमांसा दर्शन आदि विषयों पर शोधकार्य करना उनकी रुचि है।
छात्र-जीवन में उन्होंने महाविद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं जैसे संस्कृत श्लोक गायन, प्रश्नोत्तरी, भाषण, वाद-विवाद, श्लोकान्ताक्षरी, अक्षर-श्लोक, शलाका-परीक्षा, वेद-मन्त्रोच्चारण आदि में 100 से अधिक पुरस्कार प्राप्त किए हैं। दिल्ली संस्कृत अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा उन्हें दो बार "संस्कृत समाराधक सम्मान" प्रदान किया गया है तथा श्री औरोबिन्दो सोसाइटी द्वारा "टीचर इनोवेशन अवार्ड" से भी सम्मानित किया गया है।
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