भारतीय ज्ञान परंपरा कार्यक्रम का औचित्य भारतीय ज्ञान परंपरा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हमारी प्राचीन सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का संरक्षण और पुनर्जीवन करना है। भारतीय ज्ञान प्रणाली में विज्ञान, कला, दर्शन, गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा और व्याकरण जैसे अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से इन प्राचीन परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में पुनः प्रासंगिक बनाया जा सकता है। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करेगा, बल्कि वैश्विक समस्याओं के समाधान में भी योगदान देगा, क्योंकि भारतीय ज्ञान परंपरा में पर्यावरण संरक्षण, आयुर्वेदिक स्वास्थ्य प्रणाली और सतत विकास की अवधारणाएँ निहित हैं।
आधुनिक भारत में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को साकार करने में भी यह कार्यक्रम सहायक होगा, क्योंकि इसमें स्वदेशी तकनीकों और आत्मनिर्भरता की परंपराएँ निहित हैं। भारतीय ज्ञान प्रणाली के गहन वैचारिक ज्ञान को शामिल करना आज के युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पाठ्यक्रम भारत की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डालता है और “भारत की धरोहर और विरासत पर गर्व करें” का संदेश देने का प्रयास करता है।
नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर बल दिया गया है, जिससे छात्रों में अपनी सांस्कृतिक पहचान के प्रति गर्व और आत्मविश्वास का विकास होगा। इसके अलावा, यह कार्यक्रम आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ पारंपरिक ज्ञान का समन्वय स्थापित कर शोध और नवाचार के नए अवसर प्रदान करेगा। भारतीय सभ्यता की दो अनूठी और विशिष्ट विशेषताएं हैं। पहली, यह आधुनिक विश्व में एकमात्र जीवित सभ्यता है, जो अपने अतीत से जीवंत संबंध बनाए हुए है। दूसरी, जब कहीं भी, कोई भी जीवन, मृत्यु, अस्तित्व के अर्थ और उद्देश्य जैसे शाश्वत प्रश्नों से जूझता है और जीवन के शाश्वत सत्य को अनुभव करना चाहता है, तो भारत में ही उन्हें शांति और समाधान मिलता है।भारत के समृद्ध अतीत से प्रेरणा लेकर और उन प्रथाओं को समझते हुए, जो अपने समय से बहुत आगे थीं और पूरी तरह से सतत विकास पर आधारित थीं, एक नए भारत का निर्माण संभव है। यह स्वयम एमओओसी प्लेटफॉर्म उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों को भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में जागरूकता विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता
वर्तमान समय में, अतीत की प्रथाओं का मूल्यांकन करना और उन्हें समाज के उत्थान के लिए लागू करना आवश्यक हो गया है। यह पाठ्यक्रम शिक्षार्थियों को भारतीय ढांचे और मॉडलों का उपयोग करके स्वतंत्र और मौलिक रूप से सोचने में सक्षम बनाता है, ताकि वर्तमान व्यावसायिक दुनिया की समस्याओं को हल किया जा सके। यह पाठ्यक्रम उच्च शिक्षा संस्थानों के सभी शिक्षकों को भारतीय ज्ञान प्रणाली के प्रति जागरूकता विकसित करने और प्राचीन भारतीय प्रथाओं को समझने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करता है। यह पाठ्यक्रम आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा का समन्वय स्थापित करता है और शिक्षकों को प्रेरित करता है कि वे इसे अपने शिक्षण और अनुसंधान में प्रभावी रूप से शामिल करें।
वैश्वीकरण के इस युग में, यह कार्यक्रम हमारी संस्कृति और पहचान को संरक्षित करते हुए, नैतिकता और आध्यात्मिकता के सिद्धांतों को बढ़ावा देकर समाज में शांति और सामंजस्य स्थापित करने में सहायक होगा। साथ ही, यह शोधकर्ताओं और छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध पहलुओं पर शोध करने और उन्हें नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करेगा। भारतीय ज्ञान परंपरा कार्यक्रम, हमारी सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक संदर्भ में उपयोगी बनाते हुए, न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए ज्ञान और विकास का एक अमूल्य स्रोत साबित हो सकता है।
पाठ्यक्रम का महत्व
यह पाठ्यक्रम प्राचीन भारत की उन प्रथाओं को प्रदर्शित करता है, जो आज वैज्ञानिक चमत्कार के रूप में मानी जाती हैं और अपने समय से बहुत आगे थीं।
यह शिक्षकों के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) के क्षेत्र में अवलोकन और जागरूकता प्रदान करता है ।
इसमें सीखे गए सिद्धांत तकनीकी और गैर-तकनीकी डिप्लोमा/स्नातक/स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में एक स्वतंत्र पाठ्यक्रम के रूप में पेश किए जा सकते हैं।
इन अवधारणाओं को मौजूदा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में उचित स्थानों पर उदाहरणों के साथ जोड़ा जा सकता है।
पाठ्यक्रम शिक्षकों और भावी शिक्षकों को भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझने के लिए तैयार करता है।
नई
शिक्षा नीति 2020 के साथ, भारतीय
ज्ञान प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया गया है, और
भारत की बौद्धिक परंपराओं को दुनिया के सामने प्रस्तुत करना आज की आवश्यकता है। यह
पाठ्यक्रम भारत की विविध और समृद्ध ज्ञान परंपराओं का अवलोकन प्रदान करता है। यह
शिक्षार्थियों को प्राचीन भारत की धरोहर और उन प्रथाओं के बारे में जानकारी देता
है, जो समय
से परे थीं और पूरी तरह से स्थायी थीं।
1. भारतीय ज्ञान परंपरा के
इतिहास और विकास को समझना।
2. भारतीय शास्त्रों और ग्रंथों
का अध्ययन करना।
3. भारतीय विज्ञान, गणित, और
चिकित्सा के योगदान को जानना।
4. इस ज्ञान प्रणाली का आधुनिक समय में उपयोग कैसे किया जा सकता है, यह समझना।
Course Status : | Ongoing |
Course Type : | Not Applicable |
Language for course content : | Hindi |
Duration : | 8 weeks |
Category : |
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Credit Points : | 3 |
Level : | Undergraduate/Postgraduate |
Start Date : | 20 Jan 2025 |
End Date : | 15 May 2025 |
Enrollment Ends : | 28 Feb 2025 |
Exam Date : | 25 May 2025 IST |
Translation Languages : | English |
NCrF Level : | 4.5 |
Note: This exam date is subject to change based on seat availability. You can check final exam date on your hall ticket.
|
swayam@nitttrc.edu.in, swayam@nitttrc.ac.in
पाठ्यक्रम संरचना
सप्ताह 1- यूनिट 1: भारतीय ज्ञान परंपरा का इतिहास
1.1 भारतीय ज्ञान प्रणाली की
उत्पत्ति
1.2 भारतीय ज्ञान
प्रणाली का इतिहास
सप्ताह 2-यूनिट 2: भारत का विशिष्ट ज्ञान औरभारत का
ज्ञानमीमांसा
2.1 भारत का विशिष्ट ज्ञान:प्रकृति, दर्शन और चरित्र
2.2 भारत की ज्ञानमीमांसा
2.3 भारतीय ज्ञान
प्रणाली की रूपरेखा और वर्गीकरण
सप्ताह 3-यूनिट 3: प्राचीन भारत के पवित्र ग्रंथ
3.1 प्राचीन भारत के पवित्र
ग्रंथ
सप्ताह4 -यूनिट 4: प्राचीन
शिक्षा प्रणाली
4.1 प्राचीन
भारतीय शिक्षा प्रणाली
सप्ताह 5-यूनिट 5: प्राचीन
भारतीय ज्ञान परंपरा: खगोल विज्ञान, वास्तुकला, आयुर्वेद और
कृषि
5.1 प्राचीन भारत में खगोल विज्ञान
5.3 प्राचीन भारत में
आयुर्वेद
5.4 प्राचीन भारत में कृषि
सप्ताह 6-यूनिट 6: प्राचीन भारत में धातुकर्म, गणित, युद्ध विज्ञान, नियुद्ध कला और पर्यावरण
विज्ञान
6.1 प्राचीन भारत में धातुकर्म
6.2 प्राचीन भारत में गणित
6.3 प्राचीन भारत में सैन्य विज्ञान
6.4 प्राचीन भारत में नियुद्ध कला
6.5 प्राचीन भारत में पर्यावरण विज्ञान
सप्ताह 7- यूनिट 7: भारतीय ज्ञान परंपरा में भाषा, छंद, नाट्यशास्त्रऔर चेतना का विज्ञान
7.1 प्राचीन भारत में भाषा व व्याकरण
7.2 प्राचीन भारत में छंद
7.3 प्राचीन भारत में नाट्यशास्त्र
7.4 प्राचीन भारत में चेतना का विज्ञान
सप्ताह 8- यूनिट 8: भारतीय
ज्ञान परंपरा में शासन
व्यवस्थाऔरसार्वजनिक प्रशासन
8.1
प्राचीन भारत में शासन व्यवस्था
8.2
भारतीय ज्ञान परंपरा में सार्वजनिक प्रशासन
8.3 भारतीय ज्ञान परंपरा - भविष्य की दिशा
भारतीय ज्ञान परंपराओं का सार, कपिल कपूर, डी.के. प्रिंटवर्ल्ड, ISBN: 978-8124607059
भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति का इतिहास (ई.स. 1000-1800), ए.के. बाग, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस,ISBN: 978-0195646528
भारतीय ज्ञान प्रणाली, बी.एन. पटनायक, विद्यानीधि प्रकाशन,ISBN: 978-8194710706
प्राचीन भारत में शिक्षा, अल्टेकर अनंत सदाशिव, ज्ञान पब्लिशिंग हाउस,ISBN: 978-8121202813
प्राचीन भारत में विज्ञान और समाज, देबिप्रसाद चट्टोपाध्याय,रिसर्च इंडिया प्रेस, ISBN: 978-8121509653.
वैदिक युग: भारतीय लोगों का इतिहास और संस्कृति, आर.सी. मजूमदार, भारतीय विद्या भवन, ISBN: 978-8172764776
नाट्यशास्त्र: अंग्रेजी अनुवाद और आलोचनात्मक टिप्पणी. मनोमोहन घोष, एशियाटिक सोसाइटी,ISBN: 978-9381574075
आयुर्वेद: आत्म-उपचार का विज्ञान, वसंत लाड, लोटस प्रेस,ISBN: 978-0914955009
भारत में खगोल विज्ञान: एक दृष्टिकोण, के. रामासुब्रमणियन, स्प्रिंगर, ISBN: 978-9811505456
प्राचीन भारत में पर्यावरण विज्ञान, सुरेश लाल भारद्वाज, कॉन्सेप्ट पब्लिशिंग कंपनी, ISBN: 978-8180697994
कोर्स समन्वयक डॉ. रोली प्रधान
डॉ. रोली प्रधान वर्तमान में राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (NITTTR) भोपाल में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उनके पास वित्त, प्रबंधन लेखा, पोर्टफोलियो प्रबंधन और कार्यशील पूंजी प्रबंधन जैसे विषयों में गहरी विशेषज्ञता है। डॉ. प्रधान भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) में गहरी रुचि रखती हैं और इसके आधुनिक शिक्षा में समावेश के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा पर ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम (Massive Open Online Course - MOOC) डिज़ाइन किया है। इस कोर्स का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न पहलुओं को समझाना है, जिसमें इसके ऐतिहासिक विकास, दार्शनिक आधार और समकालीन संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा की जाती है। डॉ. प्रधान का मानना है कि भारतीय ज्ञान परंपरा आधुनिक शिक्षा और पेशेवर जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दृष्टिकोण से भारतीय ज्ञान परंपरा को शैक्षिक पाठ्यक्रमों में शामिल करने के महत्व को समझती हैं और इस दिशा में काम कर रही हैं। उनके द्वारा डिजाइन किया गया ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम (MOOC) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में जागरूक करता है और इसे आधुनिक समस्याओं के समाधान में कैसे लागू किया जा सकता है, यह समझाने का प्रयास करता है। इसके अतिरिक्त, डॉ. प्रधान ने 20 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन किया है, जो अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं और सम्मेलनों में प्रकाशित हुए हैं। उनके शैक्षिक और शोध कार्यों के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने के लिए उनकी प्रतिबद्धता साफ नजर आती है।
उनके संपर्क विवरण:
ईमेल- rpradhan@nitttrbpl.ac.in, pradhanroli@gmail.com
मोबाइल -9893205011
डॉ. आर. के. दीक्षित वर्तमान में राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, भोपाल में प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उनके पास तकनीकी शिक्षकों के प्रशिक्षण, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में तीस वर्षों का अनुभव है। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई से पीएचडी की है। डॉ. दीक्षित ने स्वायम के लिए तीन ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम (MOOC) पाठ्यक्रम विकसित किए हैं। वे शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख विशेषज्ञ हैं और तकनीकी शिक्षा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का हिस्सा रहे हैं। उनके शोध कार्यों में शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता सुधारने के उपायों पर जोर दिया गया है। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अपने विचार साझा किए हैं। डॉ. दीक्षित के योगदान से तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में कई नई पहलें हुई हैं। उनका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाना है।
उनके संपर्क विवरण:
ईमेल: rkdixit@nitttrbpl.ac.in
मोबाइल: 9425163874
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